मै प्रेम नही , अधिकार नही , न भावुक अस्थिर विचार हूँ
न उज्जवल किरण प्रकाश की , न जटिल अन्धकार हूँ ।
न भ्रम हूँ , न हूँ वास्तविकता , न रूप न आकार हूँ
सदभाव नही , न मैत्री हूँ , न क्लेश न विकार हूँ ।
मै अंत-विहीन, मै विष-विहीन, मै द्वार हूँ आत्म निरिक्षण का
मै गुण-विहीन, अश्रु-विहीन, मै साक्ष्य हूँ हर एक क्षण का ।
मै बल हूँ, गति हूँ, साहस हूँ, मै आत्म-मंथन, मै आत्म-चिंतन
मै पथ विहीन हूँ हर पग पर, पर हर पथ का मै द्वार हूँ ।
मै प्रेम नही , अधिकार नही , न भावुक अस्थिर विचार हूँ
न उज्जवल किरण प्रकाश की , न जटिल अन्धकार हूँ ।
मै हृदय रहित, मै द्वेष रहित, मै अज्ञानी विद्वान् हूँ
न मिथ्या हूँ, न सत्य हूँ, न रचना कोई महान हूँ ।
न वेदों का गुणगान हूँ मै, न बाइबिल, न कुरान हूँ
मै दर्शक हूँ बस मार्ग का एक, नही मार्गदर्शक समान हूँ ।
मै मुख-विहीन, अस्तित्वहीन, मै स्थिरता का हूँ एक प्रतीक
मै भेष नही संस्कार हूँ बस, मै हर प्रश्न का उत्तर सटीक ।
विशवास हूँ मै विचारों का, मै पराकाष्ठा हूँ प्रश्नों की
मै आत्मा की भाषा हूँ, भावनाओं का सम्मान हूँ ।
न वेदों का गुणगान हूँ मै, न बाइबिल, न कुरान हूँ
मै दर्शक हूँ बस मार्ग का एक, नही मार्गदर्शक समान हूँ ।